बरसे गगन से बारिश की झड़ी पर कुँवारे दो तन में कुछ आग सी लगी है। बरसे गगन से बारिश की झड़ी पर कुँवारे दो तन में कुछ आग सी लगी है।
मेंहदी-चूड़ी भरे हाथों की छन-छन,कंगन बोल रहा पिया की धुन-धुन। मेंहदी-चूड़ी भरे हाथों की छन-छन,कंगन बोल रहा पिया की धुन-धुन।
सावन की मेंहदी सजने लगी मेरे हाथों में, साजन की याद महकने लगी जज़्बातों में सावन की मेंहदी सजने लगी मेरे हाथों में, साजन की याद महकने लगी जज़्बातों में
तो चाह तो नहीं रहती, ना रहता तेरा इंतज़ार और ना रहती मेरी पल पल की खुशी उदास। तो चाह तो नहीं रहती, ना रहता तेरा इंतज़ार और ना रहती मेरी पल पल की खुशी उदास।
पिया परदेश में है ए सखी उनको मनाऊँगी। पिया परदेश में है ए सखी उनको मनाऊँगी।
बाट जोह करके अब हारी, लगता नहीं जिया एक बरस की हुई जुदाई कैसा जख्म दिया। बाट जोह करके अब हारी, लगता नहीं जिया एक बरस की हुई जुदाई कैसा जख्म दिया।